लाचार | Gaurav Pandey — Wingword Poetry Prize

Last chance to submit your poems by June 30th. Results will be declared on July 31st at 7 pm.

लाचार | Gaurav Pandey

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

एक हाथ वाले बूढ़े को देखा

सजे सवरें बाजारों के बीच

एक अच्छा उदाहरण था वो

खाली बैठे बेकारों के बीच

हाथ एक ही था उसका

मगर हौसले उसके दुगने थे

एक मिसाल पेश करते देखा

मैंने मानसिक लाचारों के बीच

चूड़ी – बिंदी – टिकुली

वो बदन पे दुकान लगाए था

सजने के सारे सामान

फटे कुर्ते पे लटकाया था

एक सांस में सारे

चीजो के दाम बता देता था

वो एक हाथ वाला बूढ़ा

दो वक्त की रोटी कमा लेता था

पेट भरने भर का कमा लेता था

वो व्यापारी इशारों के बीच

पूरे दिन की कमाई गिन रहा था

बन्द दुकानों के दीवारों के बीच

लिए कटोरे बैठे होते थे

कुछ मेहनत की गरीबी से जो

कुछ सिक्के कटोरे में

डाल देता था , दिल की अमीरी से वो

चेहरे पर थी झुर्रियां

लेकिन बड़ा प्यारा था वो

बस एक बात पे खीझता था

कि एक बेसहारा था वो

थी चेहरे पर एक मुस्कान प्यारी

वो दुख के मुंह पर तमाचा था

इतनी मुश्किलों में भी खुश रहने का

शायद उसके पास कोई सांचा था

पहचान था, अभिमान था वो,

एक तमाचा था वो

भगवान को कोसने वाले

अनगिनत शर्मसारों के बीच

एक हाथ वाले बूढ़े को देखा

सजे सवरें बाजारों के बीच

एक अच्छा उदाहरण था वो

खाली बैठे बेकारों के बीच

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